Thursday 11 April 2013

असाध्य बीमारियों का इलाज क्षणभर में


रैसलपुर महाकाली दरबार में लग रही हजारों भक्तों की भीड़

पृथ्वी पर जड़ और चेतन हर पदार्थ में ज्ञान शक्ति के रूप में दैवीय शक्ति कार्य कर रही है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण माता महाकाली दरबार रैसलपुर में देखा जा सकता है। यह दरबार वर्ष 1990 से निरन्तर है। आज जहां एक ओर विज्ञान द्वारा आधुनिक यंत्रों से मनुष्य के अन्दर उत्पन्न व्याधियों का बड़े शहरों में लाखों रुपया खर्च करके सी.टी. स्केन/ एमआरआई/ कार्डियोग्राफी जैसे अनेकों प्रकार की जांच करके पता लगाया जाता है वहीं यहां पर जांच का सटीक विवरण माताजी के दरबार में व्याधिग्रस्त मनुष्य के उपस्थित होने पर पलभर में कर दिया जाता है, इससे भी आगे उस व्यक्ति के साथ भूतकाल से घटित घटना/ तथा बीमारी उत्पन्न करने वाली प्रेत आत्मा का उल्लेख जो उस व्यक्ति को स्वप्न में दिखाई देकर प्रभावित करके काल का योग बना रही है उसके संकेत एवं प्रमाण दरबार में दिए जाते हैं। विगत 21-22 वर्षों से माता जी के दरबार में देश-विदेश के अनेकों शहरों, गांवों के असंख्य निराश व्यक्ति जो कैंसर, एड्स, ट्यूमर, लकवा, किडनी, मिर्गी, हृदय रोग निसंतान और ऐसी जघन्न व्याधि जो मेडिकल साइंस से परे थी का इलाज सफलता पूर्वक कराकर व्याधिमुक्त हुए हैं और निरन्तर लोग उपस्थित होकर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। ईश्वरीय शक्ति के विद्यमान होने के प्रमाण हेतु दरबार में माताजी घोर ज्वाला, महाकाली के रूप में उदय होती है काली, दुर्गा आदि समस्त शक्तियां उनके अंश हैं- काल/अकाल उनकी भुजा में धारण हैं वे मनुष्यों के भाग्य उदय करती हैं, बनाती हैं। धनहीन को धनवान तथा भाग्यहीन को भाग्यवान भी वे बनाती हैं वे काल की भी काल हैं ऐसी माता महाकाली त्रिलोक जननी हैं और वे कण-कण में व्याप्त हैं। मनुष्य देह में निराकार एवं सत्व रूप में विद्यमान है। इस प्रकार वेदों/ पुराणों में वर्णित महाकाली की महिमा को साक्षात दरबार में देखा और अनुभव किया जा सकता है और उनके दर्शन पाकर मनुष्य जीवन की सार्थकता प्राप्त कर सकते हैं इसमें कोई संदेह नहीं है।आप भी एक बार महाकाली दरबार में आकर स्वयं प्रत्यक्ष अनुभव कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

कलयुग में शीघ्र प्रसन्न
आज के युग में माँ महाकाली की साधना कल्पवृक्ष के समान है क्योंकि ये कलयुग में शीघ्र-अतिशीघ्र फल प्रदान करने वाली महाविद्याओं में से एक महा विद्या है। जो साधक महाविद्या के इस स्वरूप की साधना करता है उसका मानव योनि में जन्म लेना सार्थक हो जाता है, क्योंकि एक तरफ जहाँ माँ काली अपने साधक की भौतिक आवश्कताओं को पूरा करती हैं वहीं दूसरी तरफ उसे सुखोपभोग कराते हुए एक-छत्र राज प्रदान करती है। वैसे तो जबसे इस ब्रह्मांड की रचना हुई है तब से लाखों करोड़ों साधनाओं को हमारे ऋषियों द्वारा आत्मसात किया गया है पर इन सबमें से दस महाविद्याओं, जिन्हें मात्रिक शक्ति की तुलना दी जाती है, की साधना को श्रेष्ठतम माना गया है। जबसे इस पृथ्वी का काल आयोजन हुआ है तब से माँ महाकाली की साधना को योगियों और तांत्रिको में सर्वोच्च की संज्ञा दी जाती है। साधक को महाकाली की साधना के हर चरण को पूरा करना चाहिए क्योंकि इस साधना से निश्यच ही साधक को वाक-सिद्धि की प्राप्ति होती है। वैसे तो इस साधना के बहुतेरे गोपनीय पक्ष साधक समाज के सामने आ चुके हैं परन्तु आज भी हम इस महाविद्या के कई रहस्यों से परिचित नहीं है। कामकला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली आदि के कई गोपनीय विधान आज भी अछूते ही रह गए। साधकों के समक्ष आने से, जितना लिखा गया है ये कुछ भी नहीं उन रहस्यों की तुलना में जो कि अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और इसका महत्वपूर्ण कारण है इन विद्याओं के रहस्यों का श्रुति रूप में रहना, अर्थात ये ज्ञान सदैव सदैव से गुरु गम्य ही रहा है, मात्र गुरु ही शिष्य को प्रदान करता रहा है और इसका अंकन या तो ग्रंथों में किया ही नहीं गया या फिर उन ग्रंथों को ही लुप्त कर दिया काल के प्रवाह और हमारी असावधानी और आलस्य ने। किसी भी शक्ति का बाह्य स्वरूप प्रतीक होता है उनकी अन्त: शक्तियों का जो कि सम्बंधित साधक को उन शक्तियों का अभय प्रदान करती हैं, अष्ट मुंडों की माला पहने माँ यही तो प्रदर्शित करती हैं कि मैं अपने हाथ में पकड़ी हुई ज्ञान खडग से सतत साधकों के अष्ट पाशों को छिन्न-भिन्न करती रहती हूं। उनके हाथ का खप्पर प्रदर्शित करता है ब्रह्मांडीय सम्पदा को स्वयं में समेट लेने की क्रिया का, क्योंकि खप्पर मानव मुंड से ही तो बनता है और मानव मष्तिष्क या मुंड को तंत्र शास्त्र ब्रह्माण्ड की संज्ञा देता है,अर्थात माँ की साधना करने वाला भला माँ के आशीर्वाद से ब्रह्मांडीय रहस्यों से भला कैसे अपरिचित रह सकता है। इन्ही रूपों में माँ का एक रूप ऐसा भी है जो अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और वह रूप है माँ काली के अदभुत रूप महा घोर रावा का, जिनकी साधना से वीरभाव, ऐश्वर्य, सम्मान, वाक् सिद्धि और उच्च तंत्रों का ज्ञान स्वत: ही प्राप्त होने लगता है,अदभुत है माँ का यह रूप जिसने सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय रहस्यों को ही अपने आप में समेटा हुआ है और जब साधक इनकी कृपा प्राप्त कर लेता है तो एक तरफ उसे समस्त आंतरिक और बाह्य शत्रुओं से अभय प्राप्त हो जाता है वही उसे माँ काली की मूल आधार भूत शक्ति और गोपनीय तंत्रों में सफलता की कुंजी भी तो प्राप्त हो जाती है। वस्तुत: ये क्रियाएँ अत्यंत ही गुप्त रखी गयी हैं और सामन्य साधकों को तो इन स्वरूपों की जानकारी भी नही है परन्तु हमारी सदगुरु परम्परा में हमें सहजता से सभी रहस्यों का परिचय प्राप्त होता है। इनकी मूल साधना अत्यधिक ही दुष्कर मानी गयी है और श्मशान, पूर्ण तैयारी और कुशल गुरु मार्गदर्शन के बिना इसका अभ्यास भी नहीं करना चाहिए अन्यथा स्वयं के प्राण तीव्रता के साथ बाह्य्गामी होकर ब्रह्माण्डीय प्राणों के साथ योग कर लेते हैं और पुन: लौट कर साधक के मूल शरीर मैं नहीं आते हैं। परन्तु सदगुरुदेव की कृपा से हम सभी को इसे जानने देखने व उनके सामीप्य होने का सौभाग्य मिला है। आइये जानते हैं रैसलपुर महाकाली दरबार की महिमा के बारे में।

दरबार में भक्तों की अर्जी
महाकाली के दरबार में सबसे पहले हर भक्त की एक अर्जी लगती है। जिसमें एक नारियल, 250 ग्राम गेहूं, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, प्रसाद एवं दक्षिणा होती है। दरबार में एक तरफ महिलाएं व दूसरे तरफ पुरुष लाइन से बैठते हैं। जिसका नंबर आता है वह अर्जी लेकर गद्दी के समक्ष बैठ जाता है। अपने दोनों हाथों को सिर से पैर के नीचे तक तीन बार फेरता है। इसके बाद मातारानी जी भक्तों की अक्षरस: समस्या स्वत: ही बताती हैं। इसके बाद वह उनका उपाय बताती हैं जिससे भक्त को तत्क्षण लाभ हो जाता है।

रक्षा कवच
मातारानी जी ने भक्त को बताया कि रक्षा कवच धारण करें तो रक्षा कवच एक साल के लिए दरबार वहीं बनाकर द्वारा दिया जाता है। जिससे आने वाली बाधा या नहीं आकर सालभर तक रक्षा करती है। एक साल से पहले भक्त को दरबार में आकर पुन: रक्षाकवच को बदलवाकर धारण करना पड़ता है।

हवन योग से समस्या का हल
जो जातक जटिल बीमारियों से ग्रस्त हैं, ऐसी बीमारियां जो डॉक्टर ठीक नहीं कर पाते तथा व्यक्ति निराश होकर घर बैठकर भगवान से प्रार्थना करता है, उस स्थिति में दरबार में आते ही रोगी को तत्काल फायदा मिल जाता है। इसी तरह किसी लड़का-लड़की की शादी नहीं हो रही और अनेक बाधाएं आ रही हैं, ऐसे मांगलिक कार्य दरबार में हवन योग से सही हो जाते हैं। इसमें हर जातक को एक विशिष्ट हवन कराना पड़ता है जिससे वह जटिल बीमारी से मुक्ति पा लेता है। इसी तरह हवन योग कराकर मांगलिक कार्य होने लगते हैं। भयंकर ऊपरी बाधाओं (जादू-टोना) से ग्रस्त जातक प्रसन्नत चित्त होकर अपना नियमित कर्म बड़े ही आराम से करने लगता है एवं दिनोंदिन तरक्की के मार्ग पर चलता रहता है।

भक्तों की वीडियो रिकार्डिंग
हर शनिवार को रात 10 बजे से लगने वाले महाकाली दरबार में आने वाले प्रत्येक भक्त की वीडियो रिकार्डिंग कई बर्षों से अनवरत जारी है। जिससे जातकों का विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है।

डायरी लेखन
रैसलपुर महाकाली दरबार में एक सेवक- भक्त का नाम पता मोबाइल नंबर, बीमारी तथा मातारानी द्वारा बताए गए उपाय लिखता है। जब वह ठीक हो जाता है उसका भी विवरण लिखा जाता है। जिससे प्रत्येक भक्त का रिकार्ड बना रहे।

जटिल बीमारियां
हर प्रकार का कैंसर, एडस, टीबी, लकवा, मानसिक रोग, मिर्गी, सफेद दाग, थाइराइड (घुटनों, कमर में पुराना दर्द), किडनी, हार्ट, पथरी, वबासीर, डायबिटीज (शुगर), महिलाओं की बीमारियां आदि अनेक प्रकार की जटिल बीमारियों का इलाज बड़ी ही सरलता से हो जाता है। जहां डॉक्टर हार मान जाते हैं वहां दरबार में मरीज रो-रोकर आता है और हंसकर जाता है।

सभी समस्याओं का निदान
जातक की समस्या किसी भी प्रकार की हो, दरबार में आते ही वह छूमंतर हो जाती हैं। उद्योग-व्यापार में बरकत, नौकरी प्रमोशन, पारिवारिक कलह, पति-पत्नी में अनबन, शादी-विवाह की समस्या, कोर्ट-कचहरी के निकारण, दुश्मनी खत्म करना, पढ़ाई में मन नहीं लगना, किसी काम में मन नहीं लगना, ऊपरी बाधाओं से छुटकारा आदि हर समस्या जल्द ठीक हो जाती है।

मातारानी का सच्चा दरबार
जो भक्त रैसलपुर महाकाली दरबार में पहली बार आता है वह यहीं का होकर रह जाता है। उसे जब एहसास होता है कि हमारी समस्या को क्षणभर में ही समाप्त हो गई है। फिर वह घर पहुंचकर और दस लोगों को महाकाली दरबार के बारे में बताता है जिससे भक्तों का जुड़ाव अपने आप होता जाता है। यहां हजारों लोग अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए हर शनिवार को रात 8 बजे तक पहुंच जाते हैं।

कैसे पहुंचे दरबार
माता महाकाली का दरबार रैसलपुर में स्थित है। यह स्थान होशंगाबाद-इटारसी राजमार्ग पर बना है। यहां रेलवे, बस व चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है।
भक्त को इटारसी या इटारसी जंक्शन पर उतरना पड़ता है। यहां से मिनी बस, मैजिक, चार पहिया वाहन से लगभग 20 मिनट की रास्ता है। दरबार इटारसी-होशंगाबाद रोड पर राजश्री ढाबा के सामने बना है। भक्त इस तरह से आएं कि शनिवार रात 8 बजे तक दरबार में पहुंच जाएं। जिससे दरबार में आसानी से शामिल हो सकें।

भक्तों का कहना

समस्या ठीक हुई
22 वर्षों से समस्या से ग्रस्त था। पानी में दूर तक बह गया था इसे स्वप्र में 2 नाग ने घेरा, पुन: 3 नागों ने घेरा तीसरा नाग फन फटकार-फंककार कर मार रहा था। 46 वर्ष की आयु के काल योग है फिर भी बचाने का वर्णन दिया गया (ऊपर से गिरने की घटना होगी) घर का वर्णन किया खुले भाग में देवी स्थान जो खजाना ढूंढने के कारण रुष्ठ थी उसे शांत करने का आदेश दिया तथा देवी को स्वप्र में आकर प्रसन्नता दिखाने का आदेश प्रमाण हेतु दिया। ढाई माह पश्चात् परेशानी दूर कर कर्मगति बढ़ाने का उल्लेख किया हमने 22 अक्टूबर 2011 को दरबार में आकर बताया  कि जो  वर्णन किया गया था सत्य पाया।
राजेश चौबे- जीवन कला बकतरा, मो. 9993190051

लकवा सही हो गया
लकवा पेशेंट मस्तिष्क में 3 मि.मी. का धब्बा बताया आसन पर हाथ उठवाया चल नहीं पाता था चलवाया तथा अदृश्य ऑपरेशन कर धब्बा ढाई सेमी मीटर कम कर दिया- गोलियां बन्द करने के आदेश दिये। अब लकवा सही हो गया।
गणेशराम माली, भोपाल - मो. 89825020456

पुत्र की मुराद पूरी
4 वर्षों से परेशान पुत्र मांगने आई 2 योग असफल हो गये डॉक्टरों से परीक्षण कराया जांच आशा छोड़ दी। माताजी ने बताया इन्हें स्वप्र के शिशु भागता दिखता है बन्धन होकर हवन योग के माध्यम से उपचार बताया। काम सफल हुआ।
प्रीति विश्वकर्मा- होशंगाबाद

उपचार सही हुआ
आयुषि लगभग 3-4 वर्ष की अवस्था में बरामदे में 10 फिट ऊंचाई से गिर गई थी उसके पश्चात् तेज बुखार- होना वजन नहीं बढऩा तथा बोलना नहीं हो पा रहा था डॉक्टर्स ने ब्लड टेस्ट स्केंनिग व आई.क्यू टेस्ट करने के पश्चात् सिर की चोट और मन्दता बताया गया 6 वर्षों की अवस्था से एलोपेथिक/आयुर्वेदिक/ व अन्य चिकित्सा निरन्तर चल रही थी इस प्रकार 16 वर्ष की अवस्था तक कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।  शारीरिक विकास अवरूद्ध होने के साथ उसके सोचने/बोलने में कोई फायदा नहीं हुआ। दिनांक 26-11-2011 को उसे माताजी के दरबार लाया गया माताजी द्वारा वर्णन किया गया कि 4 वर्ष की अवस्था में रात्रि में भयभीत आकृति की आत्मा के प्रहार से नीचे गिरी है तब से वह आत्मा सवार है पीछा कर रही है इस वजह से पिछले 13 वर्षों से इसका शारीरिक/मानसिक/ विकास नहीं पा रहा है श्री उपाध्याय का परिवार उन्हें 3-12-11 को दरबार में उपचार कराया तथा माताजी की कृपा से आयुषी के  बोलने में, खड़े होने चलने में, असाधारण परिवर्तन आया 13 वर्षों के लम्बे समय के कारण शरीर विकास में आई बिकलांगता में भी परिवर्तन हुआ और व्याधि से पूर्णत: मुक्त हुई।
- आयुषी उपाध्याय, बैरागढ़ भोपाल 9826162124

गले का कैंसर सही हो गया
श्रीमति हेमा बाई पति श्री चम्पालाल 2-6-2012 को दरबार में उपस्थित हुई उन्हें 3 माह से गले में सूजन थी बहुत बड़ी गांठ हो गई थी उसे दबाने पर दर्द होता था कंठ के योग पर कील का मुख बन गया था पानी पीने में तक तकलीफ होती थी डॉक्टरों ने कैंसर की आशंका बताई माताजी ने सारा विवरण उल्लेख कर बताया कि इन्हें स्वप्र में मशान बीर नाग द्वारा 2-3 बार फूंक मारकर कैंसर रोग मनुष्य मृत्यु लोक अनुसार उत्पन्न किया है घर के समीप जलता दीपक, काला कोयला राख आदि मिली थी जो क्रिया की गई थी उस योग से रोग उत्पन्न हुआ माताजी द्वारा उन्हेें पूर्ण स्वथ्य कर लाभ प्रदान किया 7-7-2012 तक पूर्ण रूप  रोग मुक्त हो चुकी और उनकी आवाज भी बन्द हो गई थी अब तो आसानी से बोलती है खाना,पीना अच्छा होने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी परिवर्तन हुआ हैं।
हेमाबाई पति श्री चम्पालाल होशंगाबाद मो.न. 9691223305

कोमा से बाहर आया
विपिन चौरे ग्राम चिल्लई निवासी के भाई रैसलपुर बस स्टेन्ड पर दुर्घटना रात्रि में हुई उन्हें गम्भीर स्थिति में उपचार हेतु भोपाल ले जाया गया सीटी स्केल करने पर कोई गम्भीर चोट मस्तिष्क नहीं पाई गई उपचार चलता रहा इन्दौर भी दिखाया गया रिपोर्ट लेकर बाम्बे के डॉक्टरों को दिखाया सबसे अच्छी दवाई लेने के पश्चात् भी 3 माह से कोमा स्थिति में हैं श्री विपिन चौरे के दिनांक 4-8-12 को  दरबार में उपस्थित होने पर सारा वृतान्त डाक्टरों द्वारा किया गया वर्णन का उल्लेख किया। जो कोमा स्थिति में हैं के बारे में बताया गयाा है कि उन्हें कालरूपी आत्म द्वारा फेंका गया है और वहंा उन्हें प्रभावित कर रही है यह भी वर्णन किया कि उन्हें शरीर के 3 स्थान पर चौक हैं एक स्थान सुन्न हैं तथा एक स्थान पर घाव होने लगा है और माताजी ने उन्हें उसी क्षण से लाभ देना प्रारम्भ किया जिसमें उन्हेें रक्त की गति ज्ञान गति सोच की गति तथा देखने की क्रिया का लाभ प्रारम्भ कर दिया।
- विपिन चौरे/ ग्राम चिल्लई मो.न. 9754643106 (4 अगस्त 2012)

पैर सुन्न था, सही हो गया
मैं 18-8-12 को दरबार में उपस्थित हुआ उनका एक पैर पिछले 6 वर्ष से सुन्न अवस्था में था पैर में जरा भी हरकत नहीं होती थी मुड़ता नहीं था तथा छाती में साढ़े छ: माह दर्द रहता था। एक गठान भी थी बार-बार बुखार आकर पीड़ा होती थी डाक्टर के पास जांच कराने पर कैंसर बताया गया। माताजी ने दरबार में बताया कि  जागृत एवं निंद्रा अवस्था में इनकी छाती पर विगत एक माह से कोई  छाती पर बैठकर खींचता हैं खांसने पर तीव्र दर्द होता हैं दरबार में ही माताजी सुन्न पैर पर गति उत्यन्त की तथा छाती का दर्द को बन्द किया यह लाभ तत्काल दिया गया।
खुमानसिंह कुशवाहा  भोपाल :- मो.न. 8357077575

मेरी मुराद पूरी हुई
मैं काफी समय से परेशान था। मां के दरबार में गया। यहां मैं हर शनिवार पांच बार गया। हमारी मुराद पूरी हो गई। यह दरबार सच्चा है।
अशोक सिन्हा (रेल्वे सर्विस) भोपाल 9826372048

रीड की हड्डी सही हो गई
श्री जोगेन्द्र यादव भोपाल निवासी फौज में सर्विस करते हैं दिनांक 18-8-12 को दरबार में उपस्थित हुए डाक्टरों ने उनके उपचार/जांच करने पर बताया गया कि उनके 3 गुरिये (कमर के) 2 खन्ड में गेप आ गया है जिसके कारण उन्हें बैठने में दर्द होता था खड़े होने के पैरों कम्पन जलन होता हैं यह बीमारी पूरा शरीर ग्रसित होने का उल्लेख किया दरबार के माताजी ने बताया कि रात्रि 12.30 बजे के बाद 2 नारी जोड़े से स्वप्र में आकर इनके शरीर को प्रभावित करती है ये काल रूपी आत्मा ही बीमारी का मुख्य कारण हैं ये जिन्हें आसन पर शरीर से अलग कर कमर की पीड़ा पैरों का कम्पन,जलन दूर कर प्रमाणित किया कि दर्द देने वाली कालरूपी आत्मा हैं इस प्रकार माताजी द्वारा श्री जोगेन्द्र यादव को उक्त व्याधि से पूर्ण रूप से मुक्त कर स्वस्थ लाभ दिया गया।
- जोगेन्द्र यादव (फोज में सर्विस) भोपाल, मोबाइल नं.  992621621

दुर्बलता समाप्त हो गई, मैं चंगी हो गई
स्वीटी को शारीरिक दुर्बलता चक्कर आना, खाना नहीं खाती थी बहुत ही अधिक शरीर क्षीण  हो गया था डाक्टरों से सारे परीक्षण कराने के पश्चात् उन्हें एच.आई.वी ग्रसित एड्स रोग बताया था माताजी के दरबार में उपस्थित होने के पश्चात् उसके खाने में भूख लगना खून बनना बन्द हो गया था वह चालू हो गया सभी दवाइंया बन्द होने के पश्चात् जो शरीर सूख गया था 15 दिवस में आश्चर्य रूप से परिवर्तन आकर स्वस्थ होने लगी बजन बड़ गया तथा शरीर से स्थूल होने लगी दरबार में माताजी द्वारा आदेश दिया गया था कि उनके दी गई रक्षा 6 माह तक शरीर से जुदा नहीं करें किंतु 3 माह पश्चात् रक्षा हटा दी गई और पुन: गम्भीर स्थिति में कमजोर हो गई दिनांक 25-8-12 को उनके पिता श्री साहिबराव दरबार में आकर प्रार्थना की एवं रक्षा प्राप्त की माताजी ने एक सप्ताह तक समय देकर चुकी दरबार में उपस्थित कराने का आदेश दिया।
- स्वीटी/साहिबराव, नासिक,  मो.न. 08805628138

विकलांगता खत्म हो गई
अजय दीक्षित विगत 16 वर्षों से दाहिने पैर से विकलांग थे। डाक्टरों ने उनके जोड़ों के गेप से एक नली का दवना बताया तथा ऑपरेशन अति दुर्लभ बताया तथा खतरा होने की आशंका बताई। छेड़छाड़ करने पर बड़ी हानि होना बताया । माताजी ने दरबार में लकवा ग्रस्त पैर को जो 16 वर्षों से उठ नहीं पा रहा था समक्ष में उठवाया पैरों की उंगलियों से पकडऩे पर सेन्स नही था स्पर्श होने का मान कराया भी अजय को स्वप्र में विचित्र आकृति का मनुष्य दिखता हैं इसके उल्लेख किया पहले उन्हेें बैठने में कम्पन्न होता था सहारा लेना पड़ता था किन्तु आसन पर समक्ष में उक्त पैर में रक्त संचार का लाभ देकर पैर उठने तथा उसमें स्पर्श मान होने का लाभ दिया बैठने में बिनाा सहारे का और कम्पन ना होने का लाभ दिया।
- अजय दीक्षित भोपाल,  मो.न. 9752416602

किडनी सही हो गई
मोहम्मद उर्फ पप्पू की पत्नी को पूर्ण चेतना नहीं थी बेहोशी को हालत मेे लेकर 25-8-12 को दरबार में उपस्थित हुये थे माताजी डाक्टरों ने जो परीक्षण उपरान्त बताया गया उसका पूर्ण विवरण का उल्लेख किया और डाक्टर  जो बताया उसके अनुसार उनकी पत्नी की एक किडनी 25.777 कार्य कर रही थी तथा दूसरी किडनी 100 खराब होकर कार्य करना बन्द कर दिया था डायलेसेस पर रखा गया था। दरबार में वर्णन किया गया कि आत्मा सता रही है घर में परेशानी बनी हुई हैं धन से क्षीण हो गया सोचा कार्य भूल जाता हैं घर के 10 सदस्यों में से 5 पर उक्त क्रिया का असर है उनकी पुत्री को भयानक आकृति दिखती है तथा ऐसा आभास होता हैं कि किसी ने धक्का दिया। पत्नी रात्रि में सोते समय भयभीत हो जाती है तथा डरावनी मुद्रा बना लेती हैं कई बार उन्हें विस्तर से उठाकर आत्मा द्वारा फेेंका गया- अस्पताल में भी फैंका गया उनकी पत्नी बैठ नहीं पाती थी उन्हें दरबार के 15-20 मिनिट तक बैठाया गया तथा जो किडनी 25. कार्य कर रही थी उसे कुछ ही क्षण में 80परसेंट कार्य योग्य बनाया तथा दूसरी किडनी जो पूर्ण खराब बताई थी उसे 40 परसेंट तक कार्य योग्य बनाया और बताया गया किडनी फेल्यूवर नही हैं आत्माऐं सता रही हैं यह लाभ तत्काल दिया गया भविष्य में उसे बिस्तर से कोई फेंकेगा नही, डरेगी नही, भयानकर आकृति नहीं दिखेगी बेहोशी से चेतन अवस्था में रहने का लाभ दिया
- मोहम्मद / पप्पू भोपाल,  मो.न. 9827095102

घर में अब शांति है
घर में आशांति उन्हें स्वप्र में जल की धार में पल्टा हुआ सर्प दिखाई देता हैं अशांति/ व्याधियों के निराकरण हेतु शिखा बन्धन मुक्ति कराने हेतु 2 योग का वर्णन किया गया।
- अरुण रणधीर भोपाल,  मो.न. 9893366264

रैसलपुर महाकाली दरबार
पंडित श्याम सुंदर चौरे (माताजी)
संचालक एवं व्यवस्थापक
रैसलपुर महाकाली दरबार
इटारसी-होशंगाबाद रोड
राजश्री ढाबा के पास
रैसलपुर (म.प्र.)
मोबाइल : 0940753555, 08251065398



अधिक जानकारी के लिए इन सेवकगणों से संपर्क करें -
1. संदीप चौरे - 09691949993
2. हरिनारायण सोलंकी - 09926347329
3. रामनरेश चिमानिया- 09977997595
4. राजकुमार सोनी - 08827294576
5. दीपसिंह राजपूत - 09713911511
6. महेश सिंह पटेल - 08109228303
7. लखन बुधानी, जलगांव - 0942282789
8. विजय बजाज, जलगांव - 09595107833
9. मनमोहन शर्मा, अहमद नगर - 09960161111
10. दर्शन भाई, भोपाल - 09303625432
11. नवीन, भोपाल - 9827564080





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